4 दिसंबर 2019, दिव्यांश यादव
बाबा नित्यानंद ,जैसा नाम वैसा काम,जी हां बाबा कोई ऐसे वैसे संत थोड़ी ना है,नाम के मुताबिक इन्हे सिर्फ काम पसंद है, यानि इनके रंगीन मिजाजी के किस्से आपको समय समय पर सुनने को मिल जाएंगे,लेकिन ये बग़दादी से थोड़ी कम है,खबर आ रही है कि इन्होंने अपना देश बना लिया है !
रंगीन मिजाजी के चलते जमाने में बदनाम हो चुके दक्षिण भारत के स्वयंभू बाबा नित्यानंद गुजरात पुलिस के हाथ नहीं लग रहे हैं और देश छोड़ कर भाग गए हैं, बलात्कार के आरोपी नित्यानंद ने अपना अलग देश बना लिया है।
नित्यानंद ने दक्षिण अमेरिका के इक्वाडोर से एक प्राइवेट आइलैंड खरीदने के बाद उसका नाम ‘कैलासा’ रखा है। इतना ही नहीं यह द्वीप त्रिनिदाद और टोबैगो के करीब स्थित है और इसे नित्यानंद द्वारा संप्रभु हिंदू राष्ट्र घोषित किया गया है। नित्यानंद के इस नए देश कैलासा का अपना एक अलग झंडा, पासपोर्ट और प्रतीक भी होगा।
वेबसाइट पर नित्यानंद ने अपने देश के अलग विधान, अलग संविधान और सरकारी ढांचे की भी जानकारी दी है। इस साइट पर ‘महानतम हिंदू राष्ट्र’ कैलासा की नागरिकता हासिल करने के लिए डोनेशन का भी आह्वान किया है। कैलासा की वेबसाइट के अनुसार, “यह बिना सीमाओं वाला एक राष्ट्र है, जिसे दुनिया भर के ऐसे हिंदुओं ने बनाया है जिन्होंने अपने ही देशों में प्रामाणिक रूप से हिंदू धर्म का अभ्यास करने का अधिकार खो दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नित्यानंद ने अमेरिका की एक प्रसिद्ध कानूनी सलाहकार कंपनी की मदद से संयुक्त राष्ट्र में एक याचिका दायर की है। इस याचिका में उसने अपने देश को मान्यता देने की अपील की है। ‘कैलासा’ के दो पासपोर्ट हैं एक एक सुनहरे रंग का और दूसरा लाल रंग का। इसके झंडे का रंग मैरून है और इस पर दो प्रतीक हैं- एक सिंहासन पर नित्यानंद और दूसरा एक नंदी है। नित्यानंद ने अपने ‘देश’ के लिए एक कैबिनेट भी बनाई है और अपने एक करीबी अनुयायी ‘मा’ को प्रधानमंत्री नियुक्त किया है।
बता दें अहमदाबाद पुलिस ने बाबा और उसकी दो सेविकाओं के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज किया है। पुलिस ने आरोपी दोनों सेविकाओं को गिरफ्तार कर लिया है जबकि बाबा फिलहाल फरार है, दर्ज एफआईआर में बाबा और उसकी सेविकाओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 365 (अपहरण), 344, 504, 506, 323, 114 व चाइल्ड लेबर एंड रेगुलेशन एक्ट का सेक्शन-14 भी लगाया गया है !
अब सोचने वाली बात ये है कि भारत जैसे देश से अपराधी भाग रहे है और सरकार उन्हें वापस लाने में बार बार असफल हो रही है ये कैसा कानून है ?
दूसरी ओर बाबा नित्यानंद का ये दाव क्या उन्हें भारतीय कानून के दायरे से बाहर निकाल पायेगा ये तो वक्त ही बताएगा ?
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