फिल्म की शुरुआत में हम देखते हैं कि अफगानिस्तान कि एक जेल में “फातिमा” नाम की लड़की बंद है और उससे पूछताछ की जा रही है। उससे पूछा जाता है कि उसने ISIS कब और क्यों join कि।
इसके बाद वह लड़की अपनी सारी कहानी सुनाने लगती है।
वास्तव में उसका असली नाम “शालिनी” था। वह एक हिन्दू लड़की थी और भारत के केरल की रहने वाली थी।
उस दौरान आतंकवादी संगठन ISIS सीरिया से लेकर अफगानिस्तान तक फैल गया था। एक दिन उनका लीडर कुछ मुस्लिम लड़को से कहता है कि केरल में जाओ और वहाँ पर लड़कियों को अपने प्रेम जाल में फँसाओं।उनका धर्म परिवर्तन करवाओ। उनसे शादी करो और उन्हें प्रेग्नेंट करो। फिर अफ़ग़ानिस्तान लाकर उन्हें ISIS में भर्ती करवा दो। फिर उन्हें भी terrorist बना दो।
इसके बाद वे मुस्लिम युवक केरल में आ जाते हैं। उनके साथ कुछ मुस्लिम लड़कियों को भी भेजा जाता है ताकि वे हिंदू लड़कियों को तरह-तरह से ब्रेनवाश करें।”फिजा” नाम की एक मुस्लिम लड़की “शालिनी” और उसकी “सहेलियों” से दोस्ती कर लेती है। वे नर्सिंग की पढ़ाई कर रही थीं।
फिजा उनसे कहती है कि सारी दुनिया को सिर्फ अल्लाह चलाता है। लेकिन शालिनी कहती है कि वह तो भगवान शिव पर विश्वास करती है।
फ़िज़ा कहती है कि शिव कोई भगवान नहीं है। वह तो अपनी पत्नी सती के मारे जाने पर एक सामान्य पुरुष की तरह रो रहा था। वह भगवान कैसे हो सकता है। लेकिन शालिनी कहती है कि यह एक सिंबल मात्र है।
इसके बाद वह एक और चाल चलती है। वह ISIS द्वारा भेजे गए मुस्लिम लड़कों से कहती है की शालिनी और उसकी सहेलियों के साथ छेड़खानी करें।
शालिनी अपने दोस्तों के साथ मॉल में थी। तभी वहाँ पर वे मुस्लिम लड़के उनसे छेड़खानी करने लगते हैं। लड़कियाँ वहाँ से भागने लगती हैं।
लेकिन लड़के भी उनका पीछा करते हैं। और उनके कपड़े भी फाड़ देते हैं। लड़कियाँ किसी तरह जान बचाकर वहाँ से घर आती हैं।
इसके बाद फिजा उनसे कहती है कि तुम इस्लाम अपनाकर Muslim बन जाओ और हिजाब पहनना शुरू कर दो। क्युँकि कभी भी हिजाब पहनी हुई मुस्लिम लड़की से छेड़खानी नहीं होती है और ना ही उनका रेप होता है।
यह सुनकर कुछ लड़कियाँ सच में ही अपना धर्म बदल लेती हैं और हिजाब पहनने लगती हैं। लेकिन शालिनी ऐसा नहीं करती है ।
“दिन अरफ़ात” कहता है कि तुम धर्म बदल लो फिर मैं तुमसे शादी कर लूँगा। पहले तो शालिनी मना करती है। लेकिन फिर अरफ़ात कहता है कि ऐसा करना पड़ेगा नहीं तो उसके परिवार वाले नहीं मानेंगे।
इसके बाद शालिनी मज़बूर होकर इस्लाम अपना लेती है और हिजाब पहनने लगती है।अरफ़ात उसका नाम फातिमा रख देता है और उससे निकाह कर लेता है।लेकिन शालिनी के घर वाले इस शादी के खिलाफ थे। वे उससे कहते हैं कि अरफ़ात तुमसे सच्चा प्यार नहीं करता और सिर्फ लव – जिहाद की वजह से ऐसा कर रहा है। वे कहते हैं कि वापस घर आ जाये।
लेकिन शालिनी अराफात के प्यार में पागल थी। वह उनकी एक नहीं सुनती है और अरफ़ात के साथ दूसरे घर में चली जाती है।
एक दिन अराफात शालिनी को अफगानिस्तान ले जाता है। वह उसे बताता है कि वह उससे प्यार नहीं करता और यह फिजा की ही चाल थी। उन दोनों ने उसे अपने जाल में फंसा लिया था।
यह सुनकर शालिनी हैरान रह जाती है। उसे पता चलता है कि अरफ़ात वास्तव में ISIS का terrorist था।इसके बाद वह शालिनी को ISIS के मुखिया को सौंप देता है। उसे एक कमरे में बंद कर दिया जाता है। जहाँ केरल से लायी गयी और भी हिन्दू लड़कियाँ थीं। उन्हें भी ऐसे ही फंसाया गया था।
एक दिन शालिनी को terrorist के साथ एक जगह भेजा जाता है। वहाँ terrorist निर्दोष लोगों पर गोली चलाकर उन्हें मार देते हैं। यह देखकर शालिनी रोने लगती है। वह देखती है कि अरफ़ात भी ऐसा कर रहा है। लेकिन अब शालिनी बुरी तरह से फँस चुकी थी।
इसके बाद शालिनी को भी लोगों पर गोली चलाने एक लिए कहा जाता है। लेकिन वह मना कर देती है। इसके बाद ISIS के लोग उसके साथ मारपीट करते हैं। और तरह -तरह की यातना देते हैं।
मजबूर होकर शालिनी भी ISIS की टेररिस्ट बनने के लिए तैयार हो जाती है। उन सब लड़कियों को training दी जाती है और एक दिन military पर हमला करने के लिए भेजा जाता है।
इसके बाद फिल्म फिर से मौजूदा समय में आ जाती है। अंत में शालिनी कहती है कि कम से कम 32000 केरल की लड़कियों को ISIS में भर्ती कर लिया गया है।
इसके लिए इस फिल्म की काफी निंदा भी की गई है।शायद यह हिंदूवादी ग्रुपों का एजेंडा है। इसलिए यह फिल्म आते ही विवादों में घिर गयी है।
AKANSHA JHA (BJMC II)
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