इन दिनों राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार कौन होगा ये सवाल सबके मन में उठ रहा है और सब अपने- अपने हिसाब से अलग-अलग अटकले लगा रहें हैं। इन्हीं अटकलों के बीच अब बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवानी , मुरली मनोहर जोशी , सुषमा स्वराज और सुमित्रा महाजन के साथ- साथ द्रौपदी मुर्म का भी नाम सामने आ रहा है.
शुरूआती जीवन और शिक्षा
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के एक आदिवासी परिवार में हुआ था. रामा देवी विमेंस कॉलेज (भुवनेश्वर ) उड़ीसा, से बीए की डिग्री लेने के बाद उन्होंने ओडिशा के राज्य सचिवालय में नौकरी की. अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत उन्होंने 1997 में की जब वह नगर पंचायत का चुनाव जीत कर पहली बार स्थानीय पार्षद (लोकल कौंसिलर) बनी. वह ऐसे राज्य से ताल्लुक रखती हैं, जहां 2014 के मोदी लहर में भी भाजपा का महज एक सीट पर खाता खुल पाया था. राज्य में लोकसभा की 21 सीटें हैं. 20 सीटें बीजद के हक में गई थीं. उड़ीसा में पिछले 1 7 सालों से बीजू जनता दल की सरकार है. 2019 में उड़ीसा में विधानसभा और देश में लोकसभा चुनाव होने हैं. द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाने का लाभ बीजेपी को आने वाले दोनों अागामी चुनाव में मिल सकता है.
साफ़ सुथरी राजनैतिक छवि
अपनी शिक्षा और साफ़ सुथरी राजनैतिक छवि के कारण द्रौपदी मुर्मू को बीजेपी के आलाकमान नेताओं से हमेशा अच्छे और महत्त्वपूर्ण पदों के लिए वरीयता मिलती रही है. वह बीजेपी के सामाजिक जनजाति (सोशल ट्राइब) मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य के तौर पर काम करती रहीं और 2015 में उनको झारखण्ड का राज्यपाल बना दिया गया. और अब उन्हें अगले राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है.
क्यों मजबूत है दावेदारी?
राष्ट्रपति पद के लिए बीजेपी में सबसे पहले पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का नाम आया था. उनके उम्मीदवार बनने पर भी विपक्ष के कई बड़े दल विरोध नहीं करते. बाबरी विध्वंस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी और लालकृष्ण आडवाणी सहित 13 नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाये जाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद द्रौपदी मुर्मू की दावेदारी मजबूत हुई है. इससे पहले मुरली मनोहर जोशी और आडवाणी इस पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे. महिला और अच्छी छवि के चलते विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी दौड़ में हैं. लेकिन सेहत के कारण उनकी दावेदारी कमजोर मानी जा रही है. इन परिस्थितियों में द्रौपदी मुर्मू की दावेदारी अधिक मजबूत और प्रबल बताई जा रही है.
जुलाई में होगा चुनाव
वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल इसी साल जुलाई में ख़त्म होने वाला है और जुलाई में ही राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव भी होना है. पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम ने भाजपा को बहुमत के करीब ला दिया है. इससे साफ है कि अगला राष्ट्रपति भाजपा की पसंद का ही होगा. आजादी के बाद से अब तक देश के शीर्ष पर आदिवासी समुदाय का कोई भी व्यक्ति नहीं पहुंचा है .मुर्मू भी आदिवासी समाज से हैं, ऐसे में उन्हें उम्मीदवार बनाकर भाजपा एक बड़ा संदेश दे सकती है और एक बार फिर अपनी वाहवाही लूट सकती है.
आपको ये भी बता दें की विपक्षी दल संयुक्त उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर सकता है, इसलिए अब तक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार , राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव , और कम्युनिस्ट नेता सीताराम येचुरी जैसे कई कद्दावर नेता कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी की बातचीत चल रही है। वैसे ऐसे कयास भी लगाए जा रहें है की शरद पवार का नाम भी राष्ट्रपति उम्मीदवार की रेस में शामिल हो सकता है लेकिन कांग्रेस पार्टी इन सब बातों को मात्र एक अपवाह बता रही है.
अब ये देखना दिलचस्प होगा की इस रेस कौन-कौन उभरकर उम्मीदवार के रूप सामने आता है |
सूरज तिवारी
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