2 दिसंबर 19, शिवानी पाल
लद्दाख में चीन की सीमा से सटकर विनचैन ब्रिज का निर्माण किया गया है यह ब्रिज एशिया का सबसे ऊंचा ब्रिज है जो सेना को सीमा तक जरूरी सामान पहुंचाने में मदद करेगा ।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख में दुरबुक और दौलत बेग ओल्डी(डीबीओ) के बीच बने रिनचेन ब्रिज का उद्घाटन कर इसका शुभारंभ किया। यह पुल चीन सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलओसी) से 40 किमी पहले पूर्व में स्थित है। यह पुल श्योक नदी पर बनाया गया है। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, यह ब्रिज 255 किमी लंबे दुरबुक रोड को डीबीओ से जोड़ेगा। दौलत बेग ओल्डी दुनिया का सबसे ऊंचा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (एयरबेस) है।
डीबीओ 16000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। काराकोरम पास से भी बेहद नजदीक है। यहां से 8 किमी की दूरी पर एलएसी है। ब्रिज 1400 फीट लंबा और 13000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसके शुरू हो जाने से 14 घंटे की यात्रा साढ़े 6 घंटे में ही पूरी करना मुमकिन हो पाया है,यानी 7.5 घंटे कम लगेंगे। साथ ही चीन सीमा पर सैनिकों के पहुंचने में भी काफी कम समय लगेगा। जम्मू-कश्मीर की चीन के साथ लगी 1597 किमी लंबी सीमा को एलएसी के नाम से जाना जाता है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 21 अक्टूबर को दीवाली से पहले पूर्वी लद्दाख में दुरबुक और दौलत बेग ओल्डी(डीबीओ) के बीच बनेरिनचेन ब्रिज का उद्घाटन किया था। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल स्थित शोक दरिया पर एशिया के सबसे ऊंचे पुल का निर्माण किया गया है। लेह से दौलत बेग ओल्डी के लिए पक्की सड़क भी बन रही है। इस सड़क और पुल निर्माण से चीन की चिंता बढ़ा दी हैं।
चेवांग ने तीन जंग लड़ी थी लद्दाख के इस ब्रिज का नाम कर्नल चेवांग रिनचेन रखा गया है। चेवांग ने पाकिस्तान के खिलाफ 1948 व 1971 और चीन के खिलाफ 1962 की जंग लड़ी थी।
इस जंग में अदम्य साहस और नेतृत्व क्षमता दिखाने के लिए उन्हें 2 बार महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। चेवांग ने 1948 में पाकिस्तान के खिलाफ नुब्रा घाटी की लड़ाई लड़ी थी। 1971 में उन्होंने लद्दाख में पाकिस्तान सेना के चालुनका और तुरतुक के सामरिक चौकी पर कब्जा कर लिया था।
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