खालिस्तान की मांग करने वाला पंजाब का संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ का इतिहास उतना ही जानने लायक है; जितना है बढ़ता मुद्दा ।

क्या कहें ‘वारिस पंजाब दे’ या फिर ‘पंजाब के वारिस’
वारिस पंजाब दे, जिसे “पंजाब के वारिस” के रूप में अनुवाद किया जाता है. 30 सितंबर, 2021 को अभिनेता से कार्यकर्ता बने संदीप सिंह उर्फ दीप सिद्धू द्वारा शुरू किया गया एक संगठन है. संगठन का प्राथमिक उद्देश्य पंजाब के अधिकारों की रक्षा करना , लड़ना और सामाजिक मुद्दे उठाना है.

सिद्धू से लेकर अमृतपाल ने संभाली कमान
अमृतपाल सिंह से पहले सिद्धू वारिस पंजाब दे के प्रमुख थे. 2021 में एक कार्यक्रम में, सिद्धू ने कहा कि संगठन “पंजाब के अधिकारों के लिए केंद्र के खिलाफ लड़ेगा और जब भी पंजाब की संस्कृति, भाषा, सामाजिक ताने-बाने और अधिकारों पर कोई हमला होगा, आवाज भी उठाएगा.”
“ये उन लोगों के लिए एक मंच है. जो वर्तमान में पंजाब की सामाजिक वास्तविकता से संतुष्ट नहीं हैं. यह एक सामाजिक मंच है. ये कोई चुनाव नहीं है.” हम किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं कर रहे हैं. हिंदू, मुस्लिम, सिख या ईसाई, यह उन सभी के लिए है जो पंजाब के अधिकारों के लिए हमारे साथ लड़ेंगे. सन् 1947 से पहले हम एक साथ रहते थे, लेकिन अंग्रेजों ने उस भाईचारे को हमसे छीन लिया. हमारे गुरुओं ने जातिवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी.

पुलिस के गिरफ्त में जल्द होगा अमृतपाल
सिद्धू द्वारा सिमरनजीत सिंह मान के शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) को समर्थन देने के बाद संगठन ने खालिस्तान समर्थक मोड़ ले लिया. 15 फरवरी, 2022 को मान के प्रचार के लिए पंजाब जाते समय सिद्धू की एक कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई. मान ने बाद में संगरूर से लोकसभा सीट जीती. उन्होंने सिद्धू की मौत की न्यायिक जांच की मांग की. लुधियाना में खालिस्तान समर्थक नारों के बीच सिद्धू का अंतिम संस्कार किया गया.
हाल फिलहाल की बाते करे तो, संगठन के अध्यक्ष अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया, ऐसे मैं क्या होगा इस संगठन का ? कौन होगा इसका अगला अध्यक्ष? क्या अभी भी खालिस्तान की मांग जारी रहेगी या इस संगठन मै लगेगी रोक। और जाने के लिए देखते रहे हिमकॉम न्यूज ।
Ritika Garg (BMC 2)
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