पेशावर में एक व्यापारिक परिवार में जन्मे विनोद खन्ना ने अपने फ़िल्मी सफ़र की शुरुआत 1978 में आयी फिल्म “मन की मीत” से की जिसमें उन्होंने एक खलनायक का अभिनय किया था| कई फ़िल्मों में सहायक और खलनायक का किरदार निभाने के बाद 1978 में फिल्म “हम ओर तुम और वो “आयी जिसमें उन्होंने हीरो की भूमिका अदा की। तभी तो दर्द की दवा न हो…… तो दर्द को ही दवा समझ लेना चाहिए उनके अभिनीत फिल्म के बोल हमेशा याद दिलाते रहेंगे। कैंसर जैसी बीमारी से कड़ा संघर्ष करने के बाद 70 वर्ष की आयु में मुंबई में उनका निधन हो गया।
एक समय ऐसा भी आया जब विनोद खन्ना अपने कैरियर के सबसे अहम पड़ाव पर थे और उनके अभिनय को काफी सराहा जाने लगा था। इसी बीच उन्होंने सन्यास लेने की ठानी, इतना ही नहीं वह 5 साल तक आचार्य रजनीश ओशो के अनुयायी बन गए। इसके बाद उन्होंने अपनी दूसरी पारी भी सफलतापूर्वक खेली। उन्होंने राजनीति में भी कदम रखा और वर्ष 1997 और 1999 में वह दो बार पंजाब के गुरदासपुर क्षेत्र से भाजपा]के सांसद चुने गए थे।
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 2002में वह संस्कृति और पर्यटन के केंद्रीय मंत्री भी रहे। इसके बाद सिर्फ 6 माह पश्चात ही उनको अति महत्वपूर्ण विदेश मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया। 1999 में उनको फिल्मों में उनके 30 वर्ष से भी ज्यादा समय के योगदान के लिए फ़िल्मफ़ेअर के लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित भी किया गया।सलमान खान उनको अपनी फिल्मों के लिए लकी मानते हैं। उनकी सुपरहिट फिल्में जैसे की मुक्कदर का सिकंदर, अमर अकबर एंथोनी, दयावान, दबंग, दबंग2, दिलवाले दर्शकों के दिलों में हमेशा याद रहेगी।आज विनोद खन्ना चाहे हमारे बीच में मौजूद न हो पर उनके दमदार अभिनय के लिए वो हमेशा याद रखे जाएंगे।
अभिषेक बावा
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