नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक मसले पर सुबह से सुनवाई गुरुवार को शुरू हो गई। शीर्ष अदालत की एक संविधान पीठ अब लगातार 10 दिनों तक सुनवाई करेेेेगी. पीठ यह देखेगी की क्या यह धर्म का मसला है और अगर ये धर्म का मामला है तो सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दखल नहीं देगी और अगर ये धर्म का मामला नहीं है तो ये सुनवाई जारी रहेग. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में ये देखेगी की इस तीन तलाक के मसले में मौलिक अधिकारों का उलंघन हो रहा है या नहीं.
सीजेआई ने कहा की तीन तलाक के मामले को पहले सुलझाया जायेगा. इस मामले में पहले तीन दिन चुनौती देने वालों को मौका मिलेगा उसके बाद तीन दिन डिफेंस वालों को मौका मिलेगा.
वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि ट्रिपल तलाक कोई मुद्दा ही नहीं है क्योंकि तलाक से पहले पति और पत्नी के बीच सुलह की कोशिश जरूरी है. अगर सुलह की कोशिश नहीं हुई तो तलाक क्या वैध नहीं माना जा सकता. एक बार में तीन तलाक नहीं बल्कि ये प्रक्रिया तीन महीने की होती है. जस्टिस रोहिंग्टन ने पूछा कि तीन तलाक मामले में पहले सुलह की कोशिश की बात का कहीं कोडिफाइड है.
केंद्र सरकार ने कोर्ट के सामने कुछ सवाल रखे :
1. धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के तहत तीन तलाक, हलाला और बहु-विवाह की इजाजत संविधान के तहत दी जा सकती है या नहीं ?
2. समानता का अधिकार और गरिमा के साथ जीने का अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार में प्राथमिकता किसको दी जाए?
3. पर्सनल लॉ को संविधान के अनुछेद 13 के तहत कानून माना जाएगा या नहीं?
4. क्या तीन तलाक, निकाह हलाला और बहु-विवाह उन अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत सही है, जिस पर भारत ने भी दस्तखत किये हैं?
कुछ समय पहले प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस मुद्दे पर मुस्लिम कम्युनिटी से अपील की थी कि इस तीन तलाक के मुद्दे को राजनीटिक मुद्दा न बनाया जाये, इसको आपसी बातचीत करके सुलझाया जाए.
Leave a Reply
You must be logged in to post a comment.