इस समय सबसे बड़ी महामारी बन चुके वायरस का कहर कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। भारत में भी इस वायरस से पीड़ित लोगों में लगातार इजाफा हो रहा है।इस वायरस से संक्रमित लोगों के सीधे संपर्क में आने पर कोई भी इस वायरस का शिकार हो सकता है और यह सिलसिला लगातार भारत में जारी है। इस महामारी को कम करने के लिए दुनिया के कई हिस्सों में लॉकडाउन की स्थिति है।
कुछ समय पहले ही डब्ल्यूएचओ ने अपने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि धूम्रपान करने वाले लोग कोविड-19 के शिकार आसानी से हो सकते हैं तो चलिए आपको बताते हैं कि विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर कैसे यह वायरस धूम्रपान करने वालों के लिए अधिक खतरनाक है।
धूम्रपान करने वाले हो जाएं सचेत………….
जो लोग तंबाकू का प्रयोग कर रहे हैं इस वायरस से अधिक से अधिक संक्रमित हो सकते है। राजीव गांधी कैंसर इंस्टिट्यूट एवं रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर सर्जिकल ऑंकोलॉजी, डॉक्टर ए के दीवान के अनुसार धूम्रपान करने वालों को सांस लेने से ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है जो लोग तंबाकू का सेवन करते हैं उनके फेफड़े और स्वसन तंत्र में पहले से ही दिक्कत होती है इसी कारण से जो लोग तंबाकू का सेवन करते हैं उनको को कोविड-19 संक्रमण के होने का खतरा बढ़ जाता है।
WHO ने इसलिए है चेताया
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार तंबाकू का इस्तेमाल कोविड-19 बीमारी के लक्षणों को और भी ज्यादा गंभीर कर सकता है। उन्होंने बताया कि जो लोग स्मोकिंग नहीं करते हैं वह लोग इस खतरे से थोड़ा सुरक्षित रह सकते हैं और जो लोग स्मोकिंग करते हैं उन पर यह खतरा अधिक मंडराता रहता है जो लोग तंबाकू का सेवन करते हैं उनको स्वास्थ्य से जुड़ी दूसरी घातक परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है।
पुरुषों में होने वाले करीब 40 प्रतिशत और महिलाओं में होने वाले 20% कैंसर का संबंध तंबाकू से है इसमें फेफड़े का कैंसर हेड एंड नेक कैंसर और मुंह के कैंसर का सीधा संबंध तमाकू के इस्तेमाल से होता है इससे जोड़ी अन्य भी कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
तंबाकू का सेवन करते हैं तो हर 6 महीने पर जांच जरूरी
स्वास्थ्य संगठन ने बताया है कि जो व्यक्ति तंबाकू का सेवन करते हैं उनको अपनी जांच है हर 6 महीने में करानी चाहिए वही लोग धीरे-धीरे इन उत्पादों को छोड़ना चाहते हैं उन्हें हर 6 महीने में अपने मुंह और फेफड़ों की जांच करवा लेनी चाहिए। अगर जांच करवाने से कोई भी व्यक्ति किसी भी कैंसर से ग्रसित होगा तो शुरुआती स्तर पर ही उसकी जानकारी मिल जाएगी अगर पहले चरण में इस बीमारी का पता चल जाता है तो कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का भी इलाज संभव है।
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