24 दिसंबर 2019 कौशलेंद्र राज शुक्ला
झारखंड विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की अगुवाई में बने जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन ने बीजेपी को करारी शिकस्त देते हुए एक और राज्य से सत्ता से बेदखल कर दिया. गठबंधन का चेहरा रहे जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने विपक्षी कमान संभाली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे टकराने के बजाय मुख्यमंत्री रघुवर दास को टारेगट पर लिया. इसी का नतीजा है कि झारखंड का सियासी संग्राम हेमंत सोरेन बनाम नरेंद्र मोदी होने के बजाय हेमंत बनाम रघुवर के इर्द-गिर्द ही सिमटा रहा. विपक्षी गठबंधन को इस राजनीतिक फॉर्मूले से जबरदस्त चुनावी फायदा मिला.
बता दें कि ऐसे ही नजारा पिछले दिनों हुए हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में देखने को मिला था. हरियाणा में कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी के बजाय सीएम मनोहर लाल खट्टर को टारगेट किया था. महाराष्ट्र में शरद पवार ने भी क्षेत्रीय अस्मिता के जरिए मराठा कार्ड खेला था और पूरे चुनाव को देवेंद्र फडणवीस के इर्द-गिर्द समेट कर रखा है. हेमंत सोरेन ने झारखंड में इसी रणनीति को अपनाया और दिल्ली के सियासी रण में अरविंद केजरीवाल भी इसी रास्ते पर चलते हुए नजर आ रहे हैं.
झारखंड विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाला जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन ने 47सीटों पर कब्जा किया, जिसमें जेएमएम को 30 सीटें और उसके सहयोगी कांग्रेस पार्टी के खाते में 16 और राष्ट्रीय जनता दल के खाते में 1 सीट आई है. इस तरह से जेएमएम को 11 सीटों, कांग्रेस को 10 सीटों और आरजेडी को एक सीट का फायदा मिला है. झारखंड में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है, बीजेपी को 25 सीटें मिली है. इस तरह से बीजेपी को 12 सीटों का नुकसान उठना पड़ा है.
बता दें कि झारखंड में छह महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी ने जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन को करारी मात दी थी. प्रदेश की 14 में से 12 सीटें बीजेपी गठबंधन ने जीतकर विपक्ष का सफाया कर दिया था. लोकसभा चुनाव की हार से सबक लेते हुए विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन ने बीजेपी को घेरने के लिए रणनीति में बदलाव किया और नरेंद्र मोदी को टारगेट करने के बजाय मुख्यमंत्री रघुवर दास को निशाने पर लिया.
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