• News
    • देश
    • दुनिया
  • sports
    • क्रिकेट
    • फूटबाल
    • बैडमिंटन
    • कुश्ती
    • बास्केटबॉल
    • हॉकी
    • बेसबाल
  • Lifestyle
    • फैशन
    • ब्यूटी
    • हेल्थ
  • Entertainment
    • बॉलीवुड
    • टी वी
    • हॉलीवुड
    • म्यूजिक
  • Technology
    • गैजेट्स
    • इन्टरनेट
    • मोबाइल
  • Business
  • Articles
    • English
    • Hindi
Himcom News
Himcom News

December 5th, 2025
  • News
    • देश
    • दुनिया
  • sports
    • क्रिकेट
    • फूटबाल
    • बैडमिंटन
    • कुश्ती
    • बास्केटबॉल
    • हॉकी
    • बेसबाल
  • Lifestyle
    • फैशन
    • ब्यूटी
    • हेल्थ
  • Entertainment
    • बॉलीवुड
    • टी वी
    • हॉलीवुड
    • म्यूजिक
  • Technology
    • गैजेट्स
    • इन्टरनेट
    • मोबाइल
  • Business
  • Articles
    • English
    • Hindi
  • Follow
    • Facebook
    • Twitter
0 comments Share
You are reading
जिन्दगी की जंग हार गया एक ‘ सिंघम ‘…
जिन्दगी की जंग हार गया एक ‘ सिंघम ‘…
Home
Crime News

जिन्दगी की जंग हार गया एक ‘ सिंघम ‘…

May 28th, 2020 urvashi Goel Articles, Breaking News, Crime News, Hindi 0 comments

  • Tweet
  • Share 0
  • Skype
  • Reddit
  • +1
  • Pinterest 0
  • LinkedIn 0
  • Email

दिव्यांश यादव ,28/05/20.

‘विष्णु’ नहीं बल्कि ये हमारी आत्मा की आत्महत्या है

आत्महत्या कभी भी ख़ुद के द्वारा चुनी हुई मौत नहीं है बल्कि ये एक हत्या है. जिसमें हत्यारा मरने वाले के मन में उतर कर उसे मर जाने के लिए विवश कर देता है. विवशता से बड़ा दुःख शायद कोई नहीं, असहाय होने की पीड़ा से बड़ी पीड़ा कोई नहीं. इन पीड़ाओं ने आदम के मन में घर किया और उसी घर को दीमक की तरह चाट गयी. आदम दुनिया से चला गया.

हम कितनी आसानी से किसी आत्महत्या को कायरता में तब्दील कर देते हैं, बिना ये जाने कि कोई कैसे मौत चुन सकता है. ज़रूरी नहीं कि प्रत्येक इंसान की सहने की क्षमता एक सामान हो. सहन से परे जाने वाली पीड़ा अंत चाहती है और ये अंत उसे आत्महत्या की ओर बढ़ा देता है. हाल ही में राजस्थान के एक पुलिसवाले ने आत्महत्या को चुन लिया. शेर की उपाधि पाने वाला एक पुलिसवाला अपनी ज़िंदगी को यूँ ख़त्म करेगा ये कौन सोच सकता होगा भला, लेकिन ऐसा हो गया.

राजगढ़ थानाप्रभारी विष्णुदत्त विश्नोई ने बीते शनिवार अलसुबह अपने सरकारी क्वार्टर में गले में रस्सी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली. विष्णु जब सुबह काफी देर तक क्वार्टर से बाहर नहीं आये तो वहां मौजूद स्टॉफ ने दरवाजा खोला तो पाया कि विष्णु की देह फंदे से झूल रही है. ऐसा दृश्य मन की देह से खून निचोड़ लेता है. मैं ने भी देखा था जब मेरा सबसे अच्छा दोस्त ऐसे ही एक झूले के हवाले अपनी देह छोड़ गया था.

थाना प्रभारी विष्णुदत्त ने मरने से पहले पत्र लिखे थे, जिसमें उन्होंने अपने माँ-पिता के लिए और एक अपने अधिकारी के नाम सन्देश दिया. ये ख़त स्याही से लिखे नहीं दिखते, ये ख़ून से सने हैं. वहीं इसी बीच विष्णु की एक चैट भी सामने आ गयी जिसमें उन्होंने बताया कि वो अब मानसिक पीड़ा को सहन नहीं कर पा रहे हैं. ऐसी पीड़ा जो सरकार दे रही है. उस बातचीत में विष्णु कहते हैं कि राजगढ़ में उन्हें गंदी राजनीति के भंवर में फंसाने की कोशिश हो रही है. वो इस्तीफ़ा दे देंगे. बेहतर होता कि उनमें इतनी सहन शक्ति तो बची रहती कि इस्तीफ़ा लिख देते ना कि ‘आख़िरी ख़त’.

क़रीब 13 थानों की कायापलट कर चुके हनुमानगढ़ के रहने वाले विष्णु अपनी ही ज़िंदगी में चल रही स्थिति की काया नहीं पलट सके. ऐसा नहीं है कि पलट नहीं सकते होंगे, बल्कि सच तो यही होगा कि हर बार उनके हाथ किसी ने पीछे से पकड़ लिए होंगे. सरकार और ये सारा सिस्टम ख़ून से सने हाथ लिए घूम रहा है. ना जाने ऐसे कितने ही विष्णु अपनी ज़िन्दगी में ‘सहन के अंत’ की ओर बढ़ रहे होंगे.

एक दिलेर अफ़सर दुनिया से चला जाता है, स्थानीय सवाल जवाब हो जाते हैं, नारेबाज़ी भी हो जाती है… लेकिन टीवी पर चल रहे किसी भी न्यूज़ चैनल के प्राइम टाइम पर ऐसे मुद्दों को जगह नहीं मिलती. शायद ये पाकिस्तान का मुद्दा नहीं है या फिर किसी धर्म का. विष्णु की अंतिम बातचीत के अनुसार सरकार को इस मौत का ज़िम्मेदार माना जा रहा है. बहरहाल, सबको अपनी जान प्यारी है, लेकिन फिर भी हम हर पांच साल में नया हत्यारा चुन लेते हैं जो हर मिनट एक नयी हत्या के बारे में सोचता रहता है. फिर चाहे वो हत्या क़ानून की हो, समाज की हो या फिर सच की हो.

बेहतर यही है कि ऐसे मामलों के बारे में बात हो, सरकार से और उच्च पदों पर आसीन लोगों से सवाल हों… वरना हर दिन एक नया विष्णु अपनी देह को एक रस्सी के हवाले छोड़ता चला जाएगा. हम अगर ऐसा नहीं कर सकते हैं तो समझ लीजिये कि ये विष्णु नहीं हमारी आत्मा की आत्महत्या है.

विष्णुदत्त को श्रद्धांजलि के साथ यही कहूँगा कि आप कायर नहीं थे, हो ही नहीं सकते थे. ईश्वर के पास पहुंच कर यहाँ के लोगों की शिकायत कर दीजियेगा. आपकी दिलेरी हमेशा याद की जाएगी हम सबके ‘सिंघम’.

  • Tweet
  • Share 0
  • Skype
  • Reddit
  • +1
  • Pinterest 0
  • LinkedIn 0
  • Email
  • Tags
  • Police sucide case
  • Real sigham
Facebook Twitter LinkedIn Pinterest WhatsApp
Next article जून में छोड़ देंगे आईसीसी चेयरमैन का पद: शशांक मनोहर
Previous article आफत में भी जारी है नेताओ कि सियासत।।

urvashi Goel

Related Posts

रूस-यूक्रेन युद्ध छोड़ कर दिल्ली आ रहे रूस के राष्ट्रपति पुतिन Articles
December 4th, 2025

रूस-यूक्रेन युद्ध छोड़ कर दिल्ली आ रहे रूस के राष्ट्रपति पुतिन

Kumari – The Living Goddess of Nepal Articles
December 2nd, 2025

Kumari – The Living Goddess of Nepal

Exploring best places of the Northeast Articles
December 1st, 2025

Exploring best places of the Northeast

Weekly Timeline
Dec 4th 2:44 PM
Articles

रूस-यूक्रेन युद्ध छोड़ कर दिल्ली आ रहे रूस के राष्ट्रपति पुतिन

Dec 2nd 3:53 PM
Articles

Kumari – The Living Goddess of Nepal

Dec 1st 1:56 PM
Articles

Exploring best places of the Northeast

Nov 27th 11:38 AM
Articles

अयोध्या राम मंदिर ध्वजारोहण: भावुक हुए पीएम मोदी

Nov 24th 1:10 PM
Articles

देश के 53वें सीजेआई बने जस्टिस सूर्यकांत राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ:

Nov 10th 3:37 PM
Articles

दिल्ली NCR में गहराया प्रदूषण का संकट AQI पहुंचा 400 के पार

Nov 7th 12:49 PM
Articles

Virat Kohli’s favourite Chole Bhature

Weekly Quote

I like the dreams of the future better than the history of the past.

Thomas Jefferson
  • News
  • sports
  • Lifestyle
  • Entertainment
  • Technology
  • Business
  • Articles
  • Back to top
© Himcom News 2017. All rights reserved.
Managed by Singh Solutions