04 June 2020,Arif Ali
बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। जाहिर है, हर राजनीतिक दल ने अपने-अपने मुद्दों के साथ तैयारी भी शुरू कर दी है। बिहार की चुनावी राजनीति में बीजेपी ने डिजिटल सियासत की छौंक लगा दी है। इस छौंक को लेकर विपक्षी दलों ने सवाल भी दागने शुरू कर दिए हैं।
कुल मिलाकर बिहार में फिलहाल डिजिटल सियासत का पारा गर्म है। हालांकि बिहारवासियों का डिजिटल के बारे में हमेशा सवाल रहा है क्योंकि बिहार में नेटवर्क की समस्या बहुत बड़ी है। सिर्फ छोटे शहरों की नहीं बल्कि पटना जैसे बड़े शहर में भी लोग नेटवर्क के लिए शिकायत करते हैं।
कोरोना के संकट ने राजनीतिक दलों द्वारा लोगों से संपर्क करने के तरीक़ों में बड़ा बदलाव कर दिया है। , उस समय भी स्वाभाविक रूप से सियासी पारा चढ़ा हुआ होता था। वैसे भी बिहार का एक अपना स्वभाव है चाय और पान की दुकान वहां राजनीतिक चर्चा का ठिकाना होती हैं और नेता उसी ठिकाने को अपना शिकार बनाने की जुगत में रहते हैं। लेकिन कोरोना काल की वजह से इस समय यह संभव नहीं हो पा रहा है।
लिहाजा, बीजेपी ने डिजिटल चुनावी अभियान की शुरुआत कर दी है। लेकिन विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने गोपालगंज में हुए ट्रिपल मर्डर के विरोध में लॉकडाउन के दौरान भी सड़क मार्ग से जाने की कोशिश कर ग्राउंड की राजनीति की ज़रूरत का भी संकेत दिया है। तेजस्वी यादव गोपालगंज में यादव परिवार के तीन लोगों की हत्या को अपना सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बना चुके हैं।
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