28 नवंबर 2019 कौशलेंद्र राज शुक्ला
कहते हैं कि राजनीति में सब कुछ जायज है ,पद, प्रतिष्ठा और रुतबे के लिए कोई किसी का नहीं होता, क्रिकेट और राजनीति का कोई भरोसा नहीं की मैच और सत्ता का रूख किस ओर पलट जाए और आज कुछ ऐसा ही देखने को मिला महाराष्ट्र की राजनीति में, बदलते महाराष्ट्र के साथ आज महाराष्ट्र की सरकार बदल गई और महाराष्ट्र का सियासी इतिहास भी। जो पार्टी हमेशा पर्दे के पीछे रहकर राजनीति करती थी वह आज सत्ता की कुर्सी पर बैठ गई ।आज इतिहास ना सिर्फ महाराष्ट्र का बदला बल्कि शिवसेना का भी! यह पहला मौका है जब ठाकरे परिवार का कोई सदस्य सत्ता की कुर्सी पर बैठा है आज से पहले ना कभी इस परिवार का कोई सदस्य चुनाव लड़ा और ना कभी इस परिवार का कोई सदस्य मंत्री ,पर हमेशा सरकार बनाने की भूमिका में यही रहे ।मतलब बिना पद के रुतबा ऐसा कि शहर थम जाए,, इस विधानसभा चुनाव के शुरुआत से ही शिवसेना अपनी पार्टी की विचारधारा से अलग रहकर काम कर रही थी और इसके संकेत तब मिले जब आदित्य ठाकरे को वर्ली विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा गया लेकिन तब शायद ही किसी को यह नहीं पता था कि शिवसेना अपना राजनीतिक अध्याय ही नया लिखने जा रही है।24 अक्टूबर 2019 को जब महाराष्ट्र के चुनावी नतीजे आए और जिसमें बीजेपी शिवसेना को बहुमत मिला लेकिन 50 -50 के फार्मूले पर सरकार बनाने की बात नहीं बनी ,,,,बीजेपी पूरे 5 साल राज्य चाहती थी तो वहीं शिवसेना ढाई ढाई साल मुख्यमंत्री पद की डिमांड कर रही थी। लेकिन बीजेपी ने एक रास्ता खोल रखा था कि वह शिवसेना को उपमुख्यमंत्री पद देने को तैयार थी ,,,,लेकिन शिवसेना ने पहले ही मन बना लिया कि सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री पद चाहिए और कुछ नहीं ।जब बात नहीं बनी तो 30 साल पुराना गठबंधन टूट गया उम्मीद सबको यह थी कि शायद बाद में दोनों पार्टियां दोबारा साथ हो जाए और फिर मिलकर सरकार बन जाए पर ऐसा कुछ नहीं हुआ लेकिन जो हुआ उसकी उम्मीद भी किसी को नहीं थी कि कांग्रेस एनसीपी के साथ शिवसेना सरकार बनाएगी । तो वही इस बार चल दी इस बार एनसीपी ने एनसीपी ने कहा कि पहले आप एनडीए से अपना पूरा गठबंधन तोड़े तभी हम आपके साथ गठबंधन करेंगे तो मुख्यमंत्री चाहत में शिवसेना ने एनडीए से अपने केंद्रीय मंत्री को इस्तीफा दिलाया लेकिन इस बीच राष्ट्रपति शासन भी लग गया राष्ट्रपति शासन पर भी तमाम अटकलें लगी लेकिन बावजूद इसके एक छोटी सरकार का गठन हुआ जिसमें मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ही थे पर जरूरी आंकड़े ना होने के कारण चंद दिनों में यह सरकार गिर गई ।फ्लोर टेस्ट से पहले ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार बिखर गई और फिर उसके 2 दिन बाद एक शक्ति प्रदर्शन हुआ और उसके अगले दो दिन बाद यानी आज तीन इंजन वाली एक सरकार का गठन हुआ जिसमें मुख्यमंत्री शिवसेना का उपमुख्यमंत्री एनसीपी का तो वही स्पीकर कांग्रेस का।
अब देखना दिलचस्प होगा कि तीन पहियों वाली यह सरकार क्या पूरे 5 साल महाराष्ट्र की राजनीति को चला पाएगी या नहीं?
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