14 नवंबर 2019,शिवानी पाल
दुनिया के महान वैज्ञानिकों में से मैथ्स का जीनियस कहे जाने वाले वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी को चुनौती देने वाले भारत के महान गणितज्ञ वरिष्ठ नारायण सिंह का निधन हो गया है। आज भारत के उस महान व्यक्ति ने अपनी आखिरी सांस के साथ इस दुनिया से विदा ले ली लेकिन जाते-जाते उनके साथ जो हुआ वह काफी नहीं बल्कि बहुत अफसोस जनक और सोचनीय विषय है ।
वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने जहां पूरी दुनिया को अपनी थ्योरी के माध्यम से ब्रह्मांड के नियमों को समझाया वही महान वरिष्ठ गणितज्ञ नारायण सिंह ने उनकी थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी को चुनौती दी । 2 अप्रैल 1946 में एक ऐसी आत्मा ने भारत की धरती पर जन्म लिया जिसने बिहार के साथ साथ पूरे देश को अपने गणित के जोड़ घाट से हैरान कर दिया।
वरिष्ठ गणितज्ञ नारायण सिंह के बारे में एक मशहूर किस्सा बताया जाता है कि जब नासा में अपोलो अंतरिक्ष यान की लॉन्चिंग हो रही थी तब लॉन्चिंग से पहले वहां 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए थे कंप्यूटर ठीक होने में जितना समय लगा उसके बाद कंप्यूटर ने जो कैलकुलेशन बताएं वह कैलकुलेशन नारायण सिंह की कैलकुलेशन से बिल्कुल मैच करते थे। यह किस्सा जानने के बाद इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनकी दिमागी जोड़ घाट किस सीमा तक थी।
अपनी पीएचडी की पढ़ाई पूरी करने के बाद वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर काम करने से लेकर नासा,भारत आईआईटी कानपुर,आईआईटी मुंबई, आईआईटी कोलकाता में भी नारायण सिंह ने नौकरी की।
40 साल से बीमार चल रहे नारायण सिंह एक मानसिक बीमारी जिसे मेडिकल साइंस में सिजोफ्रेनिया कहा जाता है उससे पीड़ित चल रहे थे जिसके चलते पटना मेडिकल कॉलेज व अस्पताल पीएमसीएच में 14 नवंबर 2019 को उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली। नारायण सिंह का अंतिम संस्कार भोजपुर में उनके पैतृक गांव में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा उनके निधन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शोक जताते हुए कहा कि वह एक महान विभूति थे उन्होंने बिहार का नाम रोशन किया वहीं पूर्व मुख्यमंत्री जीवन राम मांझी ने भी उनके निधन को समाज की अपूरणीय क्षति बताया लेकिन अफसोस की बात तो यह रही कि जिस व्यक्ति ने हमारे देश का नाम रोशन किया आज उसी व्यक्ति के निधन उपरांत उसे अस्पताल में रखने की जगह तक नसीब नहीं हुई जी हां नारायण सिंह के निधन के बाद वरिष्ठ बाबू के शव को घंटों तक अस्पताल परिसर के बाहर पड़ा रहने दिया गया संज्ञान में मामला तब आया जब मीडिया ने इसे हाइलाइट किया मीडिया के माध्यम से अस्पताल प्रबंधक से लेकर जिला प्रशासन तक हरकत में आए।
अगर मीडिया के माध्यम से महान वरिष्ठ गणितज्ञ के निधन की जानकारी वायरल नहीं होती तो शायद समझा जा सकता है कि एक आम इंसान की तरह वह इस दुनिया से विदा ले लेते जहां शायद एक आम इंसान भी इस दुनिया से जाने से पहले अपने सगे संबंधी और समाज से सम्मान के साथ विदा लेता है वहीं वरिष्ठ बाबूजी को तो अस्पताल से ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया वह भी ऐसी स्थिति में जब वह मौत की गोद में सो गए थे।







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