Anushtha Singh
हिंदुस्तान से तनाव के बिच जिस तरह से चीन चारों तरफ से घिर गया है उससे चीन की हालत खराब होती जा रही है. भले हीं चिन दावा कर रहा है की कभी भी यूज़र्स का डेटा, चीन की सरकार को नहीं दिया है और न ही सरकार के कहने पर ऐसा करेंगे. लेकिन अब चिन उस विश्वास को खो दिया है और उसे दोबारा हासिल करना इतना आसान नहीं है.
हाल की घटनाओं को देखते हुए हॉन्ग-कॉन्ग में टिकटॉक का काम बंद करने का फ़ैसला किया है.”
काई समाचार एजेंसी के अनुसार टिकटॉक कंपनी कुछ ही दिनों के अंदर हॉन्ग-कॉन्ग से बाहर चली जाएगी. चीन मैं मौजूद बाइटडांस नाम की कंपनी ने इस शॉर्ट-फ़ॉर्म वीडियो बेस्ड मोबाइल ऐप को लॉन्च किया था.
इसका मुख्य उद्देश्य चीन से बाहर रह रहे लोगों को इस ऐप की तरफ़ आकर्षित करना था.बाइटडांस कंपनी चीन में भी टिकटॉक की ही तरह शॉर्ट-फ़ॉर्म वीडियो शेयरिंग ऐप चलाती है, जिसका नाम डोइन है.
वॉल्ट डिज़्नी के पूर्व कार्यकारी प्रमुख केविन मेयर टिकटॉक ऐप के सीईओ हैं. उन्होंने पहले कहा था कि टिकटॉक के यूज़र्स से जुड़े आंकड़े चीन में स्टोर नहीं किए जाते हैं.
कंपनी ये भी कह चुकी है कि वो यूज़र्स के बारे में कोई जानकारी और कंटेन्ट पर किसी तरह की रोक-टोक के चीनी सरकार के किसी भी अपील को नहीं मानेगी.
कंपनी के अनुसार चीन की सरकार ने अभी तक उससे कभी भी इस तरह की जानकारी नहीं मांगी है. लेकिन हॉन्ग कॉन्ग के लिए चीन ने जो नए सुरक्षा क़ानून बनाए हैं उसके बाद चीनी अधिकारियों को अत्यधिक अधिकार मिल गए हैं और इस कारण यूज़र्स के डेटा की निजता को लेकर चिंताएं बढ़ गईं हैं.
फ़ेसबुक, व्हाट्सऐप, ट्विटर और टेलिग्राम ने भी इस हफ़्ते घोषणा की है कि चीन के नए सुरक्षा क़ानून लागू हो जाने के बाद वो सभी हॉन्ग-कॉन्ग में अपना काम में बदलाव कर रहे हैं.
इन टेक कंपनियों का कहना है कि हॉन्ग-कॉन्ग पुलिस की तरफ़ से आए किसी भी डेटा शेयर करने की मांग को वो नहीं मान रही हैं और वो सभी हॉन्ग-कॉन्ग में इस दौरान हो रहे राजनीतिक बदलावों का आकलन कर रही हैं.
लेकिन चीन के इस नए सुरक्षा क़ानून की दुनिया भर में आलोचना हो रही है. आलोचकों का कहना है कि ‘एक देश, दो सिस्टम’ के तहत हॉन्ग-कॉन्ग को जो आज़ादी हासिल थी, नया क़ानून उस आज़ादी पर हमला करता है
अमरीकी विदेश मंत्री का मानना है कि वो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से पहले कुछ भी नहीं कहना चाहते, लेकिन ये तय है कि अमरीका इस मामले पर नज़र बनाए हुए है.
लेकिन इतना तो सच है की इस तरह क़ानून लागू करना हॉन्ग कॉन्ग के “एक देश, दो प्रणाली” सिद्धांत का उल्लंघन होगा जो इस शहर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. लेकिन तकनीकी स्तर पर ऐसा करना बिल्कुल संभव है.

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