26 February 2020, Shivanipal
बीते 3 दिनों से दिल्ली में भड़की हिंसा की चिंगारी 20 लोगों की मौत का कारण बन गई हैं उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई इस हिंसा में 200 लोगों के घायल होने की पुष्टि की गई है जिसमें पुलिसकर्मी भी शामिल है। इस हिंसा के चलते आम जनता का बुरा हाल है कितनी दुकानों में लूटपाट की गई तोड़फोड़ की गई आगजनी की गई जिसके चलते लोगों ने डर के कारण खुद को घरों में कैद कर लिया है 22 फरवरी को पुलिस हेड कांस्टेबल रतनलाल की मृत्यु के बाद पुलिस भी एक्शन मोड पर आ चुकी है लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर सब कुछ हो जाने के बाद पुलिस व प्रशासन सक्रिय क्यों होता है जिन इलाकों में आगजनी की गई जब तक फायरबिग्रेड वहां पहुंची तब तक सब कुछ पूरी तरह तहस-नहस हो चुका था। लोगों की दुकानें उसका सारा सामान जल कर राख हो चुका था। गृह मंत्री अमित शाह ने तत्काल अधिकारियों के साथ बैठक की और प्रशासन ने परिस्थिति का जायजा लेते हुए इन सभी इलाकों में 1 महीने के लिए कर्फ्यू लगा दिया है। इस तरह की हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभाव आम जनता पर पड़ता है इसके चलते सीबीएससी बोर्ड ने उत्तर पूर्वी दिल्ली की 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं को रद्द कर दिया है । जाफराबाद भजनपुरा करावल नगर मौजपुर में हुई हिंसा ने एक बार फिर दिल्ली पुलिस पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है क्यों प्रशासन आंख मूंदकर ऐसी घटनाओं का इंतजार करता है । जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं होता तब तक दिल्ली पुलिस सतर्कता में नहीं आती दिल्ली पुलिस की ओर से बताया गया कि उनके पास पैरामिलिट्री फोर्स मौजूद नहीं थी जिसकी वजह से यह घटना इतना बड़ा अंजाम तक पहुंच गई। आज की तारीख में दिल्ली में लोगों की जान एक आम बात बन गई है पिछले कुछ महीनों से सीएए एनआरसीआई और एनपीए ने लोगों के मन में दहशत और नफरत के जहर का वह बीज बो दिया है जो दिन पर दिन पनपता जा रहा है और पूरी फसल को अपने जहर से खत्म कर रहा है बड़ा सवाल यही है कि लोगों के दिलों में खोफ कब कम होगा? सांप्रदायिकता की आग कब बुझेगी?
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