अखिलेश यादव की पूर्व सरकार ने नोएडा के पूर्व इंजीनियर यादव सिंह मामले में सीबीआई जांच से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट के बड़े वकीलों पर लगभग 21.15 लाख रुपये खर्च किये थे। इसका खुलासा एक आरटीआई के जरिये हुआ है | यह आरटीआई डॉ नूतन ठाकुर ने दायर की थी | आपको बता दें कि यादव सिंह पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे |
नूतन द्वारा दायर जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया था। वहीं तत्कालीन यूपी सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी जो 16 जुलाई 2015 को पहली सुनवाई के दिन ही खारिज हो गई। इसके बावजूद यूपी सरकार ने सीबीआई जांच से बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किया था।
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार तत्कालीन यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी के लिए चार वरिष्ठ वकील नियुक्त किए गए | इनमे कपिल सिब्बल को 8.80 लाख, हरीश साल्वे को पांच लाख रूपये, राकेश दिवेदी को 4.05 लाख रूपये और दिनेश दिवेदी को 3.30 लाख रूपये दिए गए थे | कुल 21.15 लाख रूपये इन वकीलों को दिए गए |
यादव सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप हैं | उस पर भ्रष्टाचार के जरिये बीस हजार करोड़ का काला साम्राज्य खड़ा करने का आरोप है वही आय से अधिक संपति मामले में परवर्तन निदेशालय ने भी यादव सिंह के खिलाफ कार्रवाई की थी और 19.92 करोड़ की संपति जब्त कर ली थी |
कौन है यादव सिंह !
यादव सिंह एक डिप्लोमाधारी इंजीनियर है | 80 के दशक में जब दिल्ली से सटे नोएडा को एक शहर के तौर पर बसाये जाने की योजना बनी तो नोएडा ऑथोरिटी में कई बेरोजगारों को नौकरी मिली इसी दौर में यादव को भी ऑथोरिटी में नौकरी मिल गयी | 1995 तक यादव सिंह दो परमोशन पाकर जूनियर इंजीनियर से असिस्टेंट इंजीनियर और असिस्टेंट इंजीनियर से प्रोजेक्ट इंजीनियर बन चुका था |
उत्तर प्रदेश में शासन चाहे किसी भी पार्टी का हो. यादव सिंह सब का चहेता बना रहा वह मायावती की सरकार में भी उनका करीबी बना रहा | 2003 में समाजवादी पार्टी की सत्ता आने पर उसकी एसपी के नेताओ से भी सांठगांठ रही अपने राजनितिक रसूख के वजह से यादव सिंह की लखनऊ की सत्ता के गलियारों में पहुंच बनी रही |
रिज़वान खान
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