कंपाला. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युगांडा की संसद में कहा कि भारत का अपना स्वतंत्रता संग्राम अफ्रीका के साथ बहुत गहराई से जुड़ा है। यह केवल अफ्रीका में गांधी जी द्वारा बिताये गये 21 वर्ष या उनका पहला असहयोग आंदोलन ही नहीं है। भारत के लिए स्वतंत्रता संग्राम के नैतिक सिद्धांत या शांतिपूर्ण माध्यम से उसे प्राप्त करने की प्रेरणा भारत की सीमाओं तक ही सीमित नहीं थी या भारतीयों का भविष्य यहीं तक सीमित नहीं रहा। यह मानव मात्र की मुक्ति, सम्मान, समानता और अवसर के यह सार्वभौमिक खोज थी।
सांसदों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा हमारी स्वतंत्रता के 20 वर्ष पूर्व हमारे स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को पूरे विश्व और खासतौर से अफ्रीका के संदर्भ में औपनिवेशिक शासन के विरूध संघर्ष से जोड़ा था। जब भारत स्वतंत्रता के द्वार पर खड़ा था, तब हमारे मन में अफ्रीका के भविष्य का भी ध्यान था। महात्मा गांधी मजबूती से मानते थे कि भारत की आजादी तब तक अधूरी रहेगी, जब तक अफ्रीका गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा रहेगा। स्वतंत्र भारत कभी उनके शब्दों को नहीं भूला। भारत ने बानडुंग में अफ्रीका-एशियाई एकजुटता का प्रयास किया था। हमने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद का हमेशा सख्त विरोध किया है। हमने पूर्व रोडेशिया-जो अब जिम्बाबवे है, वहां, गिनी बसाऊ, अंगोला और नामीबिया के मामलों में स्पष्ट रुख अपनाया है। गांधी जी के शांतिपूर्ण प्रतिरोध ने नेल्सन मंडेला, डेसमंड टूटू, अल्बर्ट लुतहुली, जूलियस न्येरेरे और क्वामे एनक्रूमाह जैसी हस्तियों को प्रेरित किया। इतिहास भारत और अफ्रीका के प्राचीन ज्ञान और शांतिपूर्ण प्रतिरोध करने की अपार शक्ति का गवाह है। अफ्रीका में कई महत्वपूर्ण बदलाव गांधी वादी तरीकों से आये हैं। अफ्रीका के मुक्ति आंदोलनों के प्रति सैद्धांतिक समर्थन के लिए भारत को प्राय: अपने व्यापार का खामियाजा उठाना पड़ा है। लेकिन अफ्रीका की स्वतंत्रता की तुलना में इस बात का कोई महत्व नहीं है।
आज भारत और अफ्रीका महान भावी संभावनाओं के द्वार पर खड़े हैं। हम आत्म विश्वास से भरपूर हैं, सुरक्षित, ऊर्जावान और कर्मठ जन के रूप में मौजूद हैं। युगांडा अफ्रीका के विकास का एक उदाहरण है। यहां लैंगिक समानता बढ़ रही है, शैक्षिक और स्वास्थ मानकों में इजाफा हो रहा है तथा संरचना और संपर्कता का विस्तार हो रहा है। यह बढ़ते व्यापार और निवेश का क्षेत्र है। हम नवाचार का उभार देख रहे हैं। हम अफ्रीका की हर सफलता का स्वागत करते हैं क्योंकि हमारे गहरे मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। भारत को अफ्रीका का साझेदार होने पर गर्व है। और, महाद्वीप में युगांडा हमारी प्रतिबद्धता के केन्द्र में है। कल मैंने युगांडा के लिए दो स्तरीय ऋण की घोषणा की थी। पहले स्तर पर बिजली के लिए 141 मिलियन अमरीकी डॉलर है। दूसरे स्तर पर कृषि और डेयरी उत्पादन के लिए 64 मिलियन अमरीकी डॉलर है। अतीत की तरह हम कृषि और स्वास्थ्य सुविधा, शिक्षा और प्रशिक्षण, संरचना और ऊर्जा, सरकार में क्षमता निर्माण और रक्षा क्षेत्र में प्रशिक्षण जैसे क्षेत्रों में युगांडा की जनता की आकांक्षाओं को समर्थन देते रहेंगे। मैं अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होने के फैसले के लिए राष्ट्रपति मुसेवेनी और इस सदन को धन्यवाद देता हूं।
मोदी ने युगांडा की संसद में कहा कि अफ्रीका के साथ भारत का सहयोग 10 सिद्धांतों से निर्देशित होता रहेगा।अफ्रीका हमारी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में होगा। हम अफ्रीका के साथ सहयोग बढाना जारी रखेंगे और हमने दिखाया है कि यह सहयोग सतत और नियमित होगा। हमारी विकास साझेदारी आपकी प्राथमिताओं से निर्देशित होगी। आपकी अनुकूल शर्तों पर हमारी साझेदारी होगी जो आपकी क्षमता को मुक्त बनायेगी और आपके भविष्य को बाधित नहीं करेगी। हम अफ्रीकी योग्यता और कुशलता पर निर्भर करेंगे। हम स्थानीय क्षमता निर्माण के साथ – साथ यथा संभव अनेक स्थानीय अवसरों का सृजन करेंगे। हम अपने बाजार को मुक्त रखेंगे और इसे सहज और अधिक आकर्षक बनायेंगे ताकि भारत के साथ व्यापार किया जा सके। हम अफ्रीका में निवेश करने के लिए अपने उद्योग को समर्थन देंगे। हम अफ्रीका के विकास को समर्थन देने के लिए, सेवा देने में सुधार के लिए, शिक्षा और स्वास्थ के सुधार के लिए,डिजिटल साक्षरता विस्तार के लिए, वित्तीय समावेश के विस्तार के लिए और वंचित लोगों को मुख्य धारा में लाने के लिए डिजिटल क्रांति के भारत के अनुभवों का दोहन करेंगे।
Leave a Reply
You must be logged in to post a comment.